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*✍🏻बेर कैसे थे, ये शबरी से पूछो;

*✍🏻बेर कैसे थे, ये शबरी से पूछो;                                   श्रीराम से पूछोगे तो मीठे ही कहेंगे  *ज़हर का स्वाद शिव से पूछो...*

*मीरा से पूछोगे तो अमृत ही कहेगी...!!*
*जहाँ हमारा स्वार्थ*
          *समाप्त होता है*,
      
       *वहीं से हमारी इंसानियत*
          *का आरंभ होता है*।
*✍🏻बेर कैसे थे, ये शबरी से पूछो;                                   श्रीराम से पूछोगे तो मीठे ही कहेंगे  *ज़हर का स्वाद शिव से पूछो...*

*मीरा से पूछोगे तो अमृत ही कहेगी...!!*
*जहाँ हमारा स्वार्थ*
          *समाप्त होता है*,
      
       *वहीं से हमारी इंसानियत*
          *का आरंभ होता है*।