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#OpenPoetry जिंदगी एक युद्ध है,अपनों के ही विरुद्ध

#OpenPoetry जिंदगी एक युद्ध है,अपनों के ही विरुद्ध है,
हर कोई शत्रु यहाँ,हर कोई तो मित्र है,
हर कदम पे चाल है,हर पल नयी बिसात है,
हर कोई अभिमन्यू सा यहाँ एक जाल का शिकार है,
चेहरे पे चेहरा चढा,ये कैसा मायाजाल है,
हर चेहरे में शकुनी छिपा हर चेहरा खुद नकाब है,
हर चाल है बिकी हुई,खुद पासा भी गुलाम है,
कृष्ण या अर्जुन नहीं बस दुर्योधन का राज है,
राम राज्य कहीं नहीं,हर दिल में रावण राज है,
जिंदगी एक युद्ध है,अपनों के ही विरुद्ध है।।
सागर पे भी सेतु बाँधे वो राम सा अब बल कहाँ,
हनुमान भक्ति की बात छोडो हर दिल में भस्मासुर का वास है,
अर्जुन नहीं गर यहाँ तो कौन यहाँ द्रोणाचार्य है,
रक्त बीज हैं सभी यहाँ जिन्हे चण्ड़-मुण्ड़ का साथ है।
#अंकित सारस्वत# #जिंदगी एक युद्ध है
#OpenPoetry जिंदगी एक युद्ध है,अपनों के ही विरुद्ध है,
हर कोई शत्रु यहाँ,हर कोई तो मित्र है,
हर कदम पे चाल है,हर पल नयी बिसात है,
हर कोई अभिमन्यू सा यहाँ एक जाल का शिकार है,
चेहरे पे चेहरा चढा,ये कैसा मायाजाल है,
हर चेहरे में शकुनी छिपा हर चेहरा खुद नकाब है,
हर चाल है बिकी हुई,खुद पासा भी गुलाम है,
कृष्ण या अर्जुन नहीं बस दुर्योधन का राज है,
राम राज्य कहीं नहीं,हर दिल में रावण राज है,
जिंदगी एक युद्ध है,अपनों के ही विरुद्ध है।।
सागर पे भी सेतु बाँधे वो राम सा अब बल कहाँ,
हनुमान भक्ति की बात छोडो हर दिल में भस्मासुर का वास है,
अर्जुन नहीं गर यहाँ तो कौन यहाँ द्रोणाचार्य है,
रक्त बीज हैं सभी यहाँ जिन्हे चण्ड़-मुण्ड़ का साथ है।
#अंकित सारस्वत# #जिंदगी एक युद्ध है