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अब तो तुम चले आओ,आंखें थक गई तकते-तकते। सूख ना जा

 अब तो तुम चले आओ,आंखें थक गई तकते-तकते।
सूख ना जाए पानी इनका,याद में तेरी बहते-बहते।
बिना तुम्हारे तन्हाई में,बीत रहे दिन रहते- रहते।
बोझ बन गया है ये जीवन,थकी वजन को सहते-सहते।
नहीं ठिकाना अब जीवन का,उमर जा रही ढलते- ढलते।
मंजिल अब तक नज़र ना आई,दूर आ गई चलते-चलते।

©Kalpana Tomar
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