पल्लव की डायरी उसूलो पर चलने का चलन चल बसा है जो भी आये सामने विरोधी उनको मसल दिया गया है अन्याय अत्याचार सब जायज है सत्ता की भूख में रोजी रोटी और रोजगार को भी दफन कर दिया गया है भिखारी बनती आवाम को पेशेवरों के यहाँ गुलामी करने के लिये छोड़ दिया गया है सब कुछ लगा दिया दाँव पर लेकिन बंधुआ मजदूर बनाकर रख दिया है मगर पाई पाई के लिये जनता को मोहताज कर दिया गया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" उसूलो पर चलने का चलन चल बसा है #NirbhayaJustice