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"कन्या दान" मेरी पहली कहानी अनु शीर्षक में पढे़

"कन्या दान" 
मेरी पहली कहानी
अनु शीर्षक में पढे़ 
 *कन्यादान*
लाडली बिटिया अब बड़ी हो चुकी थी पिता को भी आखिर कन्या दान तो करना ही था यही चिंतन उनकी कार्यशैली में प्रभाव डाल रहा था
मुंह दिखाई तीसरे रोज होने को पंडित जी से पूछ के पिता घर वापस आए थे,
रोशनी की मां रसोई से चाय लाते हुए बोल रही थी "जौहरी भी रोशनी के नाना का जानकार का है, सालगिरह वाली अंगूठी दे देंगे सफाई करने को
और धुधरी सेठ से मायके वाले पीतल के बर्तन बदल लेंगे और उधार कर देंगे आखिर उसने भी काम कराया  था"
रोशनी भी इसी सोंच के कारण एक दो रोज से सोई न थी आंखे तनिक उभर सी गई थी।
सरिता, कज्जो भी आयी है रोशनी के मंगेतर मुकेश को देखने
 कज्जो रोशनी को तैयार कर के आंगन में लेकर आती है जहां मेहमान बैठे हुए है
"कन्या दान" 
मेरी पहली कहानी
अनु शीर्षक में पढे़ 
 *कन्यादान*
लाडली बिटिया अब बड़ी हो चुकी थी पिता को भी आखिर कन्या दान तो करना ही था यही चिंतन उनकी कार्यशैली में प्रभाव डाल रहा था
मुंह दिखाई तीसरे रोज होने को पंडित जी से पूछ के पिता घर वापस आए थे,
रोशनी की मां रसोई से चाय लाते हुए बोल रही थी "जौहरी भी रोशनी के नाना का जानकार का है, सालगिरह वाली अंगूठी दे देंगे सफाई करने को
और धुधरी सेठ से मायके वाले पीतल के बर्तन बदल लेंगे और उधार कर देंगे आखिर उसने भी काम कराया  था"
रोशनी भी इसी सोंच के कारण एक दो रोज से सोई न थी आंखे तनिक उभर सी गई थी।
सरिता, कज्जो भी आयी है रोशनी के मंगेतर मुकेश को देखने
 कज्जो रोशनी को तैयार कर के आंगन में लेकर आती है जहां मेहमान बैठे हुए है
rajanbajpai1918

राjN

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