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*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* संक्रमित इलाके में

*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* 

संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर,
चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? 
चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर,
दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। 
बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, 
वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर।
खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, 
पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। 
जान देने से यदि संक्रमण होती  बेअसर, 
काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। 

***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #
*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* 

संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर,
चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? 
चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर,
दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। 
बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, 
वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर।
खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, 
पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। 
जान देने से यदि संक्रमण होती  बेअसर, 
काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। 

***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #

#संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी # #कविता