ख़ुशी में उलझनों में, दरकते रिश्तों की डोर में, अजनबी आवाज़, पैरों की आहट, बंद कमरे में घुटन का अहसास, कितना कुछ सीखा जाता है।। कुछ अधूरे ख्वाब, कुछ खाली जेबें, कांच का टूटना, वक़्त का हाथों से फिसलना, कितना कुछ सीखा जाता है।। कुछ यारों का छूट जाना, रास्ते मे दिल को किसी से लगाना, उखड़ती सांसों में भी, कुछ अधुरा सा लगना, कितना कुछ सीखा जाता है।। Paरिज़ा T #kuch#ankha#sa#adhura #spark