बैठ किनारे प्रेम सरोवर याद तेरी जब आए
तेरे सुर्ख नैना के आंसू मेरी आंखे नम कर जाए
बेदाग खूबसूरती में इस हृदय की धड़कन हैं बसी हुई
स्तब्ध नक्षत्र रह गए सभी और पवन भी थमी हुई
कुछ अधूरे ख्वाब रह गए और हो गए शून्य अधर
हंसी से परहेज एक आदत सी है, अब ठहर गया है यह सफर
बेचैन लेहरे मन के सागर की करती हैं करुण पुकार
कब होगा हृदय दिग्बंधन प्रश्न करे जब लौटे हर बार