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बरसों पहले से मोहब्बत उसे भी थी! बरसों पुरानी मोह

बरसों पहले से मोहब्बत उसे भी थी! 
बरसों पुरानी मोहब्बत मुझे भी थी! 

गुमनामी में खोए दो जिस्मों की रवानी! 
साँसों में घुली रहती ऐसी थी वो जवानी! 

समाज दुनिया के दस्तावेजों को निभाते थे! 
अपनी क़िस्मत से वह कभी लड़ नहीं पाते थे! 

दूरी तो थी और थी थोड़ी मज़बूरी भी मगर- 
शौक़ था दोनों को निभाने का दस्तूर-ए-ज़िंदगी! 
 
खफ़ा भी थे इकदूजे से कम ना होती दिल्लगी! 
अद्भुत थी, सरल थी गहरी थी वो कस्तूरी! 

मोहब्बत कल जैसी थी आज भी है उतनी ही गहरी! 
वह मिलन संजोग से शुरू हुई, अनंत तक रहेगी संयोगी।
 🌷सुप्रभात🌷
👉🏻 प्रतियोगिता- 264

🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 

 👉🏻🌹"मोहब्बत उसे भी थी"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या
बरसों पहले से मोहब्बत उसे भी थी! 
बरसों पुरानी मोहब्बत मुझे भी थी! 

गुमनामी में खोए दो जिस्मों की रवानी! 
साँसों में घुली रहती ऐसी थी वो जवानी! 

समाज दुनिया के दस्तावेजों को निभाते थे! 
अपनी क़िस्मत से वह कभी लड़ नहीं पाते थे! 

दूरी तो थी और थी थोड़ी मज़बूरी भी मगर- 
शौक़ था दोनों को निभाने का दस्तूर-ए-ज़िंदगी! 
 
खफ़ा भी थे इकदूजे से कम ना होती दिल्लगी! 
अद्भुत थी, सरल थी गहरी थी वो कस्तूरी! 

मोहब्बत कल जैसी थी आज भी है उतनी ही गहरी! 
वह मिलन संजोग से शुरू हुई, अनंत तक रहेगी संयोगी।
 🌷सुप्रभात🌷
👉🏻 प्रतियोगिता- 264

🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 

 👉🏻🌹"मोहब्बत उसे भी थी"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या
nehapathak7952

Neha Pathak

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