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चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब मे

चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप





अब्बास ताबिश
पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें #NojotoQuote चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप 
चिड़ियाँ दूर सिधार गईं और डूब गई तालाब में चुप 

लफ़्ज़ों के बटवारे में इस चीख़-भरे गहवारे में 

बोल तो हम भी सकते हैं पर शामिल है आदाब में चुप 
पहले तो चौपाल में अपना जिस्म चटख़्ता रहता था
चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप





अब्बास ताबिश
पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें #NojotoQuote चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप 
चिड़ियाँ दूर सिधार गईं और डूब गई तालाब में चुप 

लफ़्ज़ों के बटवारे में इस चीख़-भरे गहवारे में 

बोल तो हम भी सकते हैं पर शामिल है आदाब में चुप 
पहले तो चौपाल में अपना जिस्म चटख़्ता रहता था