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भावनाओं का मेरी भावनाओं का मेरी, क्यूँ अंत कर दिय

भावनाओं का मेरी

भावनाओं का मेरी, क्यूँ अंत कर दिया तुमने,
किस साजिश के तहत, मेरा दिल तोड़ दिया तुमने ।
एक बार सोचा तक नहीं की, भावनाओं को भी ठेस लगती है, 
दूसरे तो तोड़ देते हैं मन का विश्वास, उन्हें क्या देर लगती है ।

इस तरह मेरी सभी आशाओं का तुमने अंत कर दिया, 
मेरे निश्छल प्रेम को भी तुमने, निष्फल कर दिया ।
मेरे हृदय की कोमलता को तुमने ठेस पहुंचाकर, 
जीते - जागते प्रेमी का मानों, वध कर दिया ।

हृदय को तोड़कर भी, क्या पाया है तुमने, 
दिल को झकझोर कर भी, क्या पाया है तुमने ।
क्यूँ इतनी पत्थर दिल थीं तुम, 
जो मेरी भावनाओं को रुलाया है तुमने ।

अहसास अगर हो तुम्हें, अपनी गलतफहमियों का, 
मेरे साथ गलत हुआ, क्या कारण था मजबूरियों का ।
अगर अब भी तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो जाए, 
तो फिर से हम दोनों का मिलना, शायद संभव हो जाए ।


- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # भावनाओं का मेरी
भावनाओं का मेरी

भावनाओं का मेरी, क्यूँ अंत कर दिया तुमने,
किस साजिश के तहत, मेरा दिल तोड़ दिया तुमने ।
एक बार सोचा तक नहीं की, भावनाओं को भी ठेस लगती है, 
दूसरे तो तोड़ देते हैं मन का विश्वास, उन्हें क्या देर लगती है ।

इस तरह मेरी सभी आशाओं का तुमने अंत कर दिया, 
मेरे निश्छल प्रेम को भी तुमने, निष्फल कर दिया ।
मेरे हृदय की कोमलता को तुमने ठेस पहुंचाकर, 
जीते - जागते प्रेमी का मानों, वध कर दिया ।

हृदय को तोड़कर भी, क्या पाया है तुमने, 
दिल को झकझोर कर भी, क्या पाया है तुमने ।
क्यूँ इतनी पत्थर दिल थीं तुम, 
जो मेरी भावनाओं को रुलाया है तुमने ।

अहसास अगर हो तुम्हें, अपनी गलतफहमियों का, 
मेरे साथ गलत हुआ, क्या कारण था मजबूरियों का ।
अगर अब भी तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो जाए, 
तो फिर से हम दोनों का मिलना, शायद संभव हो जाए ।


- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # भावनाओं का मेरी