मुसाफिर जाने वो किस की तलाश में भटकता रहा, किन किन रास्तो से गुजरता रहा, तक़दीर ने माज़क किया ऐसा था पास हर आराम था,फिर भी परेशान था मुन्सिफ़ न था, शायद उसका कही रुक जाना आख़िर अज़नबी मुसाफ़िर था। काटों से लगे ज़ख्मो का अंदाजा बेचैन कर रहा था पर वो गुमगश्ता होकर चल रहा था। मुसाफ़िर..! जाने वो किस की #तलाश में भटकता रहा, किन किन रास्तो से गुजरता रहा, तक़दीर ने #माज़क किया ऐसा था पास हर आराम था,फिर भी परेशान था #मुन्सिफ़ न था, #शायद उसका कही रुक जाना आख़िर अज़नबी #मुसाफ़िर था।