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हकीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती, कभी तुम ग़ौ

हकीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती, 
कभी तुम ग़ौर से सुनना बहुत किस्से सुनाती है !!
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है, 
मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना, तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है...!

©Ruchika
  #Dhund
latasmi6234

Ruchika

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