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पढ़ कर तुम्हे मेरे ख्याल। तुम्हे कैसे चैन आता है।

पढ़ कर तुम्हे मेरे ख्याल।
तुम्हे कैसे चैन आता है।
देख कर मेरा हाल।
कैसे तुम्हे सब्र आता है।
तुम तो सो जाती है सकूं से। 
एक एक पल पहाड़ हो जाता है।
घड़ी की टिक टिक भी। 
चुभती है कानो में।
क्या तुम्हे मेरी बेचैनी का।
 एहसास हो पाता है।
जब भीं देखता हूं उम्मीद से तेरी तरफ।
तेरा मजबूरी भरा जवाब आता है।
ये उम्र कट गई तेरे इंतजार में।
क्या कोई इस जहां में लौट कर आता है।
क्या जवाब दोगी उस खुदा के पास जाकर।
कोई ऐसे भी रिश्ता निभाता है 
नही मालूम ये अना है या मजबूरी।
कोई कैसे इतना बे प्रीत हो जाता है।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj #PhisaltaSamay
पढ़ कर तुम्हे मेरे ख्याल।
तुम्हे कैसे चैन आता है।
देख कर मेरा हाल।
कैसे तुम्हे सब्र आता है।
तुम तो सो जाती है सकूं से। 
एक एक पल पहाड़ हो जाता है।
घड़ी की टिक टिक भी। 
चुभती है कानो में।
क्या तुम्हे मेरी बेचैनी का।
 एहसास हो पाता है।
जब भीं देखता हूं उम्मीद से तेरी तरफ।
तेरा मजबूरी भरा जवाब आता है।
ये उम्र कट गई तेरे इंतजार में।
क्या कोई इस जहां में लौट कर आता है।
क्या जवाब दोगी उस खुदा के पास जाकर।
कोई ऐसे भी रिश्ता निभाता है 
नही मालूम ये अना है या मजबूरी।
कोई कैसे इतना बे प्रीत हो जाता है।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj #PhisaltaSamay