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बहारों के सपने। (पार्ट 6) निशा छुट्टी पर चली गयी थ

बहारों के सपने।
(पार्ट 6) निशा छुट्टी पर चली गयी थी। शादी की तैयारी और शॉपिंग  जो करनी थी। इसलिये उसके स्टूडेंट्स को भी मुझे पढ़ाना होता था। में ज़्यादा बिज़ी रहने लगी थी। पढ़ने का टाइम भी कम ही मिलता। 

हाँ, सचिन से दोस्ती ज़रूर बढ़ने लगी थी। कभी कभार यदि हम रेस्टोरेंट में मिल जाते तो साथ ही बैठ कर नास्ता करते। और फिर कभी कभी उसका फ़ोन आ जाता या में उसे फ़ोन कर लेती।

निशा की शादी का दिन नज़दीक आ रहा था। मैंने अपने लिये साड़ी भी पसंद कर ली थी। पर उसकी शादी में सरीक होना मेरे नसीब में नहीं था। उसकी शादी के दो दिन पहले मुझे तेज़ बुख़ार हुआ। पहले तो हम हमारे फॅमिली डॉक्टर से दवाई ले आये पर बुख़ार कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिरकार मुझे हॉस्पिटल में एड्मिट होना पड़ा। हॉस्पिटल में कई टेस्ट किये गये पर कोई नतीजे पर डॉक्टर्स नहीं पहुँच पाये। आख़िरकार वायरल इन्फेक्शन की वज़ह से बुख़ार हुआ होगा ऐसा कहा गया। पर अच्छी बात यह थी की में ठीक हो रही थी। टेम्परेचर नॉर्मल रहने लगा था। और फिर मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी। में घर तो आ गयी पर वीकनेस फिर भी रहती थी। कुछ दिन लगे मुझे पूरी तरह ठीक होने में। घर बैठ कर में बोर हो गयी थी। निशा की शादी मिस करने का भी अफ़सोस था। पर चीज़ें मेरे हाथ में नहीं थी।

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बहारों के सपने।
(पार्ट 6) निशा छुट्टी पर चली गयी थी। शादी की तैयारी और शॉपिंग  जो करनी थी। इसलिये उसके स्टूडेंट्स को भी मुझे पढ़ाना होता था। में ज़्यादा बिज़ी रहने लगी थी। पढ़ने का टाइम भी कम ही मिलता। 

हाँ, सचिन से दोस्ती ज़रूर बढ़ने लगी थी। कभी कभार यदि हम रेस्टोरेंट में मिल जाते तो साथ ही बैठ कर नास्ता करते। और फिर कभी कभी उसका फ़ोन आ जाता या में उसे फ़ोन कर लेती।

निशा की शादी का दिन नज़दीक आ रहा था। मैंने अपने लिये साड़ी भी पसंद कर ली थी। पर उसकी शादी में सरीक होना मेरे नसीब में नहीं था। उसकी शादी के दो दिन पहले मुझे तेज़ बुख़ार हुआ। पहले तो हम हमारे फॅमिली डॉक्टर से दवाई ले आये पर बुख़ार कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिरकार मुझे हॉस्पिटल में एड्मिट होना पड़ा। हॉस्पिटल में कई टेस्ट किये गये पर कोई नतीजे पर डॉक्टर्स नहीं पहुँच पाये। आख़िरकार वायरल इन्फेक्शन की वज़ह से बुख़ार हुआ होगा ऐसा कहा गया। पर अच्छी बात यह थी की में ठीक हो रही थी। टेम्परेचर नॉर्मल रहने लगा था। और फिर मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी। में घर तो आ गयी पर वीकनेस फिर भी रहती थी। कुछ दिन लगे मुझे पूरी तरह ठीक होने में। घर बैठ कर में बोर हो गयी थी। निशा की शादी मिस करने का भी अफ़सोस था। पर चीज़ें मेरे हाथ में नहीं थी।

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निशा छुट्टी पर चली गयी थी। शादी की तैयारी और शॉपिंग जो करनी थी। इसलिये उसके स्टूडेंट्स को भी मुझे पढ़ाना होता था। में ज़्यादा बिज़ी रहने लगी थी। पढ़ने का टाइम भी कम ही मिलता। हाँ, सचिन से दोस्ती ज़रूर बढ़ने लगी थी। कभी कभार यदि हम रेस्टोरेंट में मिल जाते तो साथ ही बैठ कर नास्ता करते। और फिर कभी कभी उसका फ़ोन आ जाता या में उसे फ़ोन कर लेती। निशा की शादी का दिन नज़दीक आ रहा था। मैंने अपने लिये साड़ी भी पसंद कर ली थी। पर उसकी शादी में सरीक होना मेरे नसीब में नहीं था। उसकी शादी के दो दिन पहले मुझे तेज़ बुख़ार हुआ। पहले तो हम हमारे फॅमिली डॉक्टर से दवाई ले आये पर बुख़ार कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिरकार मुझे हॉस्पिटल में एड्मिट होना पड़ा। हॉस्पिटल में कई टेस्ट किये गये पर कोई नतीजे पर डॉक्टर्स नहीं पहुँच पाये। आख़िरकार वायरल इन्फेक्शन की वज़ह से बुख़ार हुआ होगा ऐसा कहा गया। पर अच्छी बात यह थी की में ठीक हो रही थी। टेम्परेचर नॉर्मल रहने लगा था। और फिर मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी। में घर तो आ गयी पर वीकनेस फिर भी रहती थी। कुछ दिन लगे मुझे पूरी तरह ठीक होने में। घर बैठ कर में बोर हो गयी थी। निशा की शादी मिस करने का भी अफ़सोस था। पर चीज़ें मेरे हाथ में नहीं थी। ***