चाहता था दिल तुझको ही और तुझको ही खुदा से मांँगता था, आ जाए जिंदगी में मेरी जिंदगी बनकर बस यही तो चाहता था। तुझे अपना बनाने की ख़्वाहिश दिल की मेरी दिल में ही रह गई मैं तो दूरियांँ मिटा कर तुझ संग नजदीकियांँ बढ़ाना चाहता था। तमाम कोशिशें की तुझको अपना बनाने की पर नाकाम ही रहा, मैं तो तेरी झोली में जमाने भर की हर खुशी डालना चाहता था। किससे करूंँ शिकवा और शिकायत जब तू ही ना समझ सका, मैं तो तुझे अपना बना कर तेरे सारे गमों को अपनाना चाहता था। कसूर तेरी निगाहों का था या हमारी किस्मत का किसको दोष दूँ, मैं तो तेरी दुनियाँ खुशियों से भर कर जन्नत बनाना चाहता था। ♥️ Challenge-569 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।