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मौन नहीं 'मैं निशब्द हूँ' ऐ जिंदगी! आज फिर 'मैं क

मौन नहीं 'मैं निशब्द हूँ' 
ऐ जिंदगी! आज फिर 'मैं क्षुब्ध हूँ' 
अपने अंतर्मन से ही कर रही 'मैं युद्ध हूँ' 
क्या कहना किसी से खुद से ही 'मैं क्रुद्ध हूँ' 
बह रही हूँ जहां राह मिले गंगा की तरह 'मैं शुद्ध हूँ'
छोड़ा नहीं परिवार विचारो से बन गई 'मैं बुद्ध हूँ' 
अधिकारों से वंचित नारी अभी भी 'मैं क्षुद्र हूँ' 
क्यों समझे समाज मुझे तुच्छ की 'मैं शूद्र हूँ'
शिव की तरह ही शिव-शक्ति 'मैं रुद्र हूँ'

©vineetapanchal
  #Compared #Women #socity_thinking