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हर बार खंजर‌ हमें जख्म दे यह जरूरी तो नहीं। हर बार

हर बार खंजर‌ हमें जख्म दे यह जरूरी तो नहीं।
हर बार बेतुके बातों पर हम भड़क जाए यह जरूरी तो नहीं। 
कभी वक्त निकालकर हमसे मुखातिब तो करो
क्योंकि हर गलती हम करें यह जरूरी तो नहीं।
                    रौशन मेरी ख्वाहिश मेरी शायरी।
हर बार खंजर‌ हमें जख्म दे यह जरूरी तो नहीं।
हर बार बेतुके बातों पर हम भड़क जाए यह जरूरी तो नहीं। 
कभी वक्त निकालकर हमसे मुखातिब तो करो
क्योंकि हर गलती हम करें यह जरूरी तो नहीं।
                    रौशन मेरी ख्वाहिश मेरी शायरी।
roushanslogicabo7675

Roushan

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