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तेरा खुद पर काबू ही नही, कैसे कह दु तुझे इंसान??

तेरा खुद पर काबू ही नही,  कैसे कह दु तुझे इंसान?? 
पता है क्या गलत है क्या सही है, तु इतना भी नही नादान
वासना ने नजरों को मासूमियत ना देखने दी, 
क्या हुआ दिमाग को मै इस बात से हैरान
तुने फुल को खिलने से पहले कुचला ओ जालीम,
तेरे जैसा कसम से मैने देखा ना कभी हैवान
_ _ __करनैल सिंह Lust enemy of humanity
तेरा खुद पर काबू ही नही,  कैसे कह दु तुझे इंसान?? 
पता है क्या गलत है क्या सही है, तु इतना भी नही नादान
वासना ने नजरों को मासूमियत ना देखने दी, 
क्या हुआ दिमाग को मै इस बात से हैरान
तुने फुल को खिलने से पहले कुचला ओ जालीम,
तेरे जैसा कसम से मैने देखा ना कभी हैवान
_ _ __करनैल सिंह Lust enemy of humanity

Lust enemy of humanity