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आज बोलीं मेरे घर की दीवारें मुझसे बैठ जरा यहाँ दो

आज बोलीं मेरे घर की दीवारें मुझसे
बैठ जरा यहाँ दो पल कुछ बातें करनी है तुझसे
बोलीं मुझे कि तू बता ऐसी क्या हो गई खता
दिनों-दिन नहीं रहता तेरा पता
तू अपने ही घर में क्यों बन गया है इक मेहमान
हर कोई तुझे ऐंसे क्यों देखे जैंसे तू हो कोई अंजान
अभी की ही तो बात है जो तू हँसता था हँसाता था
 हर पल कुछ गुनगुनाता था हर दिल को तू भाता था 
अब क्युँ तू दर दर भटकता है हर आँख में क्यों खटकता है
अब तो देर रात यहाँ है और बिस्तर पर चला जाता है
ना तो हमारी सुनता और ना कुछ सुनाता है
तब मैंने कहा - 
 मैं तो इक भटकता मुसाफिर हूँ भटकता रहता हूँ हर पल
कल की छोड़िए मुझे ये भी खबर नहीं कि कहाँ जाना अगले पल
घर छूटा परिवार छूटा मेरे प्यारे गाँव से मेरा नाता टूटा
मुसाफिरों का कहाँ मुकम्मल होती हैं मंजिलें बस सफर में ही जिंदगी बिताते हैं.. #hindipoetry #hindishayari #हिन्दीकविता #life #struggle
आज बोलीं मेरे घर की दीवारें मुझसे
बैठ जरा यहाँ दो पल कुछ बातें करनी है तुझसे
बोलीं मुझे कि तू बता ऐसी क्या हो गई खता
दिनों-दिन नहीं रहता तेरा पता
तू अपने ही घर में क्यों बन गया है इक मेहमान
हर कोई तुझे ऐंसे क्यों देखे जैंसे तू हो कोई अंजान
अभी की ही तो बात है जो तू हँसता था हँसाता था
 हर पल कुछ गुनगुनाता था हर दिल को तू भाता था 
अब क्युँ तू दर दर भटकता है हर आँख में क्यों खटकता है
अब तो देर रात यहाँ है और बिस्तर पर चला जाता है
ना तो हमारी सुनता और ना कुछ सुनाता है
तब मैंने कहा - 
 मैं तो इक भटकता मुसाफिर हूँ भटकता रहता हूँ हर पल
कल की छोड़िए मुझे ये भी खबर नहीं कि कहाँ जाना अगले पल
घर छूटा परिवार छूटा मेरे प्यारे गाँव से मेरा नाता टूटा
मुसाफिरों का कहाँ मुकम्मल होती हैं मंजिलें बस सफर में ही जिंदगी बिताते हैं.. #hindipoetry #hindishayari #हिन्दीकविता #life #struggle