उसकी बातों से मुझे कोई फर्क नही पड़ता बल्कि मुझे किसीकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता वो तो बेचारी अज्ञानता से ढंकी हुई एक सफ़ेद चादर भी नहीं उसे क्या पता क्या सत्य है और क्या असत्य । लिखाई में हमेशा अपने भाव कैसे रखने हैं और गुण क्या हैं अवगुण क्या हैं इसे जाने बिना ही उसे कुछ पता नहीं इसलिए मुझे किसी से कोई फर्क नही पड़ता और जब मुझे अपने से फर्क नई पड़ता तो बात ही छोड़ दो । एक तुम थे साथ मगर तुम्हारा ये अस्थिर मन.. ऊपर से मेरी ये भार भरी जिंदगी एमजीआर फिर भी न जाने क्यों मरता भी क्यूँ नहीं । जब मैं ख़ुद को ही प्यार से अपने आप को अंधेरे में देखना चाहता हूं तो इसमें आपत्ति किसी को नहीं होनी चाहिए न तुम्हें जलना चाहिए और न उसे ज्ञान के दो बोल बोलने चाहिए क्योंकि वो सिर्फ लिखे हुए पे जाती है जैसा बाकी कर रहे हैं यहां पर एमजीआर कोई इतना गम्भीरतापूर्वक सोचता नहीं और न ही सोच सकता है कि शब्दों का महत्त्व सिर्फ लिखे हुए को समझना और फिर अज्ञानता से लिये हुए निष्कर्ष को निकालकर जो कि पूर्णता अपूर्ण हो तो उसमें उसकी और बाकियों का क्या ही कहना और क्या ही समझना इसलिए छोड़ दिया जाए जिसे लेट गो कहते हैं मगर तुम... तुमसे तो बस इतनी ही प्रार्थना है कि मन को स्थितियों से संभालते हुए मुझे समझो और साथ रहो अगर ये नहीं कर सकते तो मुझे अंधेरे में ही रहने दो । उसकी बातों में आ गए... #बातोंमेंआगए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi