माँ सुबह एक नजर पड़ी तो सामने माँ थी नहाने का ख्याल आया तो पानी की बाल्टी लिए तैयार थी जाने की जल्दी में रोटी हाथ में और लंच के लिए खाना बिस्तर पर तैयार मिला जब धूप थी तो माँ के आंचल की छाया और मुश्किलों में माँ का प्यार मिला घर जाते वक्त देर हो जाए तो फोन पर पहली कॉल माँ की थी और जब घर की तरफ चले तो घर पहुंचकर इंतेज़ार में मुझे निहारती भी मेरी माँ ही थी तो लिख सकूं उस माँ के लिए इतना हुआ मैं काबिल नहीं सफर जारी रहे उनका मेरे साथ ऐसे वो कोई मुसाफिर नहीं शायद लिखा था यहीं तक साथ हमारा कहा था मुझसे की ना भी रहूं मैं तो रखना सबका ख्याल तू समझदार बेटा है हमारा जाने का दुख इतना नहीं बस कुछ कर न सका रहते उनके लिए वो अफसोस है तेरी आवाजें तेरा दर्द मुझे आज भी सोते हुए महसूस है ।। ©Ravinder Sharma #MomentOfTime hindi shayari sad shayari motivational shayari shayari on life