जिंदगी बेगैरत है, बेईमां है इसकी कहानी। पल में बदलती, पल में संभलती,आप कैसी रवानी ? मिट्टी से मिट्टी सजती है, लौ छुपती,बस धजती है, ध्वज सी लहरा आंखों में लौ, पांवों मिट्टी, फिर पानी। लौ बुझ जाती मिट्टी धंसती, मिट्टी की मिट्टी ही हस्ती, मिट्टी खाने को भी तिकड़म, रोजी में क्या और निशानी ? ©BANDHETIYA OFFICIAL #dusk #जिंदगी #बेगैरत