अंधेर नगरी में अब रहना मुश्किल है सच्चे इंसानों का यहाँ जीना मुश्किल है बिकती है हर जरूरत अर्ज़ा कीमत पर साँसों को भी अब कुछ नहीं हासिल है लगती है बोली ख़्वाबों की ऊँचे दामों में अमीर अब गरीब से ज्यादा क़ाबिल है कदर नहीं होती है यहाँ हुनर की यहाँ बिन मुताला किए हर कोई आलिम है इस अंधेर नगरी में उजाला रात को होता है लोगों की हँसी में कितनी सिसकियाँ शामिल है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_305 👉 अंधेर नगरी मुहावरे का अर्थ ---- जहाँ कपट का बोलबाला हो। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।