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“रहस्यमई बक्सा” मैंने एक दिन सुबह सवेरे

           “रहस्यमई बक्सा”
मैंने एक दिन सुबह सवेरे खोली खिड़की
ताजे हवा झोखें संग देखा मैने एक बक्सा

खोला ताला उसका किसी तरह देकर धक्का
देख अंदर उसकी रह गई मैं हक्का बक्का

उसमें पड़ी थी मेरी पहले प्यार की खुशबू
देख उसको मेरा दिल जोरों से था धड़का

कुछ भूली बिसरी यादों के खत थे जो लिखे उनको कितने रंग में थे
साथ में कुछ पड़ी थी तस्वीरें गुलाब पंखुड़ी संग

खो गई थीं मैं यादों के झरोखों में देख ये बक्सा
दिल सोचे कहा से आया ये हालत है इसका खस्ता था कभी मेरी अरमानों का ये बस्ता।





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#rzलेखकसमूह
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#rzwritehindi
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           “रहस्यमई बक्सा”
मैंने एक दिन सुबह सवेरे खोली खिड़की
ताजे हवा झोखें संग देखा मैने एक बक्सा

खोला ताला उसका किसी तरह देकर धक्का
देख अंदर उसकी रह गई मैं हक्का बक्का

उसमें पड़ी थी मेरी पहले प्यार की खुशबू
देख उसको मेरा दिल जोरों से था धड़का

कुछ भूली बिसरी यादों के खत थे जो लिखे उनको कितने रंग में थे
साथ में कुछ पड़ी थी तस्वीरें गुलाब पंखुड़ी संग

खो गई थीं मैं यादों के झरोखों में देख ये बक्सा
दिल सोचे कहा से आया ये हालत है इसका खस्ता था कभी मेरी अरमानों का ये बस्ता।





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