थोड़ा सा थक गया हूँ दूर निकलना छोड़ दिया है पर ऎसा नहीं है की हमने चलना छोड़ दिया है फासले अक्सर रिश्तों में दूरी बढ़ा देते हैं पर ऎसा नहीं है की हमने अपनों से मिलना छोड़ दिया है हाँ ज़रा अकेला हो गया हूँ दुनिया की भीड़ में पर ऎसा नहीं है की हमने अपनापन छोड़ दिया है याद करता हूँ अपनों को परवाह भी है मन में बस अब इतना ही करता हूँ बताना हमने छोड़ दिया है ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता, बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,