यूँ न कहो कि अँधेरा बुरा है कभी रौशनी से वफ़ा करके देखना हालात पर रोना तुम भी सीख लोगे जरा मुस्कुराकर हमें याद करना वो दिन वो रात कहाँ लौटते अब उन किस्सों में जरा मेरा जिक्र करना हुआ यूँ था कि एक अदद दिल को जिसे तार- तार तुम्हें करना था अब न कहो कि मेरा वफा बुरा है अभी अँधेरों पर इल्जाम और लगना था #InspireThroughWriting #सौरभसिंह #एक_तरफ़ा_प्यार #ख्यालतुम्हारा