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ख़त मैं रो पड़ा अपनी मजबूरियों पर, पर मुझे हर हाल म

ख़त मैं रो पड़ा अपनी मजबूरियों पर,
पर मुझे हर हाल में यकीन है तेरी रहमतों पर।

*** सूफी मस्तान *** * ये जीवन है *
ख़त मैं रो पड़ा अपनी मजबूरियों पर,
पर मुझे हर हाल में यकीन है तेरी रहमतों पर।

*** सूफी मस्तान *** * ये जीवन है *
sufimastaan1827

Sufi Mastaan

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