मैं रंग चुरा लू सोचता हूं मैं...रंग चुरा लू सोचता हूं बाजार में ख्वाहिसो के सोचता हूं कुछ कर जाउ अपने वतन के लिए पर यहाँ तो दीक्षा लिए द्रोण हज़ारो है मैं अर्जुन बनु भी तो कैसे मैं अर्जुन बनु भी तो कैसे यहाँ सपनो के कातिल हाथो में खंज़र लिये उद्धार करने को आतूर है। ©@mahi #सपनो के कातिल।