मेरा प्यारा घर वक़्त के साथ आज वो भी बूढ़ा हो चला.... सुनी दीवारें आज भी राह ताकती हैं... कभी बन्द खिड़की तो कभी बंद दरवाज़ों से झाँकती हैं.... बड़ा सा वो आँगन भी आज वीरान पड़ा है... कही घास कहीं पत्तों तो कहीं मिट्टी से घिरा है मेरा प्यारा घर नीता चौधरी