परछाई।। रौशनी में उसकी पहचान है, अंधेरे में उसका कोई अस्तित्व नहीं साथ हमारी तभी रहती है जब खुद के अंदर कोई द्वेष नहीं अनकही अनसुनी अनजानी है वो दिखने में निरूप परछाई है वो। हम सब के अंदर समाई है वो अकेलेपन में खुद के अंतरात्मा से हस्कर बुलाई है वो समुंदर से ज्यादा गहराई है वो दिखने में निरूप परछाई है वो जिस राह ,जिस राह भी भागू हस्कर मुझको बुलाए मुझको असलियत दिखलाए,फिर अंधेरों में गुम होजाए मेरे जिस्म से रूह में समाई है वो दिखने में निरूप परछाई है वो।। ©कव्यप्रिंस mujhe mujse mila doh apni परछाई apni ashliyt btao. #मेरी_परछाई #मेरी_कविता #dark_side #alone #kahani #story #myentry #nojoto #fame