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जो मौका-ए-हिज़्र पे न हो जाए, वो बारिश कैस

जो  मौका-ए-हिज़्र  पे  न  हो  जाए,  वो  बारिश  कैसी?
जो  ज़िंदा  रहते  न  पूरी  हो  पाए,  वो  ख्वाहिश कैसी?


हम  साए  करें  तो  कुछ  दर्द  से  राबता भी  बढ़े हमारा,
दुश्मनों को करनी पड़ जाए, तो कत्ल-ए -साजिश कैसी?


मेरे    ही     हुए   थे    चर्चे   शहर - ए - आम,   तब ही
उम्मीद न थी, कि की जाएगी इजहार की नुमाइश ऐसी!


सब क्या? हम  तो  खुदा  तक  रख आए थे, गिरवी अपना
ज़ालिम  ने,  की  थी  आंखों  से  मदद  की  गुज़ारिश ऐसी! #nojotohindi #tamannaa
जो  मौका-ए-हिज़्र  पे  न  हो  जाए,  वो  बारिश  कैसी?
जो  ज़िंदा  रहते  न  पूरी  हो  पाए,  वो  ख्वाहिश कैसी?


हम  साए  करें  तो  कुछ  दर्द  से  राबता भी  बढ़े हमारा,
दुश्मनों को करनी पड़ जाए, तो कत्ल-ए -साजिश कैसी?


मेरे    ही     हुए   थे    चर्चे   शहर - ए - आम,   तब ही
उम्मीद न थी, कि की जाएगी इजहार की नुमाइश ऐसी!


सब क्या? हम  तो  खुदा  तक  रख आए थे, गिरवी अपना
ज़ालिम  ने,  की  थी  आंखों  से  मदद  की  गुज़ारिश ऐसी! #nojotohindi #tamannaa
krishnaseth0831

Krishna Seth

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