मेरा गाँव और बचपन वक़्त के तक़ाज़े हैं जाने क्या क्या पीछे छोड़ आए बीते वक़्त उस शहर में कुछ दोस्त पुराने छोड़ आए गांव का पीपल पुराना आम की बगिया सुहानी तंग गलियों में अब हम अपना बचपना भी छोड़ आए गांव के बाहर, मां की चौकी और वो बाबा की मजार,करती है वो इंतिजार जहां बैठकर लगोंटियों संग बातें अधूरी हम छोड़ आए सुन खनखनाहट कनचों की,देख दौड़ते भागते बच्चों को, याद आता है वो लड़कपन भी जिसे गांव में ही सब छोड़ आए ©MOHAMMAD DANISH #गांव #मेराबचपन #window