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गगन में चाँद बादलों के बीच से झांकता हुआ देख रहा

गगन में चाँद 
बादलों के बीच से झांकता हुआ 
देख रहा है।

जैसे झाँक रही हैं तुम्हारी आँखे
काजल वाली
पलकों के बीच।

और कभी चाँद कभी छुपता है 
निकलता है 
बादलों के बीच।

जैसे तुम्हारी आँखे
मिचती व खुलती हैं
पलकों के बीच।।

और ये क्या देख रहा हूँ अब
एक चाँद गगन में
दूसरा धरा पर
और मैं उन दोनों के बीच।। दो दो चाँद
गगन में चाँद 
बादलों के बीच से झांकता हुआ 
देख रहा है।

जैसे झाँक रही हैं तुम्हारी आँखे
काजल वाली
पलकों के बीच।

और कभी चाँद कभी छुपता है 
निकलता है 
बादलों के बीच।

जैसे तुम्हारी आँखे
मिचती व खुलती हैं
पलकों के बीच।।

और ये क्या देख रहा हूँ अब
एक चाँद गगन में
दूसरा धरा पर
और मैं उन दोनों के बीच।। दो दो चाँद

दो दो चाँद