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जिसके बल मानव वजूद में आया, चर अचर को अपने पर ही ब

जिसके बल मानव वजूद में आया,
चर अचर को अपने पर ही बसाया।
निज स्वार्थ में कर छिन्न भिन्न उसे-
बिगाड़ स्वरूप उसे ही है रुलाया।

काटे जा रहे सजऱ तेजी से,
कारण बादल गरजे हैं देरी से।
न हो रहा जल स्तर की भरपाई-
खरीद पी रहे जल बाजार से।

बढ़ रहा कार्बन दिन प्रतिदिन,
गर्मी से परेशान ठंढी वायु बिन।
ए सी-कूलर पर उतरे लोग-
आनेवाला समय होगा और कठिन।

तड़प रहे लोग ऑक्सिजन के लिए,
कुछ लोग हैं परेशान जेब भरने के लिए।
संभल प्रकृति की ओर लौटो प्राणी-
अपने लिए न सही आनेवाली पीढ़ी के लिए।

✍️पवन 'सुमन'

©pawan kumar suman पृथ्वी दिवस

#EarthDay2021
जिसके बल मानव वजूद में आया,
चर अचर को अपने पर ही बसाया।
निज स्वार्थ में कर छिन्न भिन्न उसे-
बिगाड़ स्वरूप उसे ही है रुलाया।

काटे जा रहे सजऱ तेजी से,
कारण बादल गरजे हैं देरी से।
न हो रहा जल स्तर की भरपाई-
खरीद पी रहे जल बाजार से।

बढ़ रहा कार्बन दिन प्रतिदिन,
गर्मी से परेशान ठंढी वायु बिन।
ए सी-कूलर पर उतरे लोग-
आनेवाला समय होगा और कठिन।

तड़प रहे लोग ऑक्सिजन के लिए,
कुछ लोग हैं परेशान जेब भरने के लिए।
संभल प्रकृति की ओर लौटो प्राणी-
अपने लिए न सही आनेवाली पीढ़ी के लिए।

✍️पवन 'सुमन'

©pawan kumar suman पृथ्वी दिवस

#EarthDay2021

पृथ्वी दिवस #EarthDay2021