वह प्रक्रिया जो शृष्टि की रचियता है क्यों उस की बात भी करना बुरा माना जाए स्त्रीत्व मातृत्व पर जब दुनिया, यह समाज मिल कर गर्व करते है तो क्यों वह स्वाभाविक प्रक्रिया जो स्त्री को स्त्री बनाती है, लज्जाजनक और अपवित्र बना दी गई क्यों उस पीड़ा और असहजता को समझने में पुरुष की भागीदारी नहीं इंसान क्या, स्वयं भगवान कृष्ण भी जन्में एक श्रेष्ठ माँ की कोख से तो क्यों वही नारी तब अपवित्र मानी गई वह बहन, पत्नी, माता, बेटी है जननी है वह क्यों उसे अपने पर यह होने का मान न हो क्यों? नारीत्व मासिक और मानसिकता #midnightthoughts #womenlife #shriradhekrishna