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#OpenPoetry मेरी मूफलसी ने मुझे बंजारा बना दिया

#OpenPoetry मेरी मूफलसी ने मुझे बंजारा बना दिया 
    जिंदगी ने मुझे आवारा बना दिया         

शाम चौराहे पे रात फूतपात पे गुजारी 
मेरे हालातो ने मुझे नाकारा बना दिया 

चहरे पे दाढ़ी बड़ी तन पे चद्दर फटी    
मेरी मजबूरियों ने मुझे बैचारा बना दिया 

कभी मंदिर मे कभी मस्जीद में बैठकर खाया 
मेरी किस्मत ने मुझे फकिरा बना दिया  
                
किसी की खुशी में खुश हो ना सका अपनी
    बदनसीबी पे रो ना सका 
  वक्त ने मुझे लाचारा बना दिया 

sarla singh आवारा बना दिया
#OpenPoetry मेरी मूफलसी ने मुझे बंजारा बना दिया 
    जिंदगी ने मुझे आवारा बना दिया         

शाम चौराहे पे रात फूतपात पे गुजारी 
मेरे हालातो ने मुझे नाकारा बना दिया 

चहरे पे दाढ़ी बड़ी तन पे चद्दर फटी    
मेरी मजबूरियों ने मुझे बैचारा बना दिया 

कभी मंदिर मे कभी मस्जीद में बैठकर खाया 
मेरी किस्मत ने मुझे फकिरा बना दिया  
                
किसी की खुशी में खुश हो ना सका अपनी
    बदनसीबी पे रो ना सका 
  वक्त ने मुझे लाचारा बना दिया 

sarla singh आवारा बना दिया
sarlasingh1685

Sarla singh

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आवारा बना दिया #OpenPoetry