याद रोज आया करती है। वो इतने करीब आ गई है। न झूठ और न धोखा,वो हमेशा मेरे साथ है। ये एकांत सुनहरा है। यादें हमससफर, मेरे सुख-दुख में। एकांत में, मेरे साथ है। भीड़ में भी मेरे साथ है। बहुत खूबसूरत है, ये एकांत। ना उम्मीद टूटती है ना मिलने से डर है। इन यादों ने एकांत का मतलब बदल दिया है। ये एकांत हर पल हिम्मत देता है। ये एकांत सपनों को धरा में लाता है। ©Kamlesh Bohra Mahesh Shalivahanas Skumar gsss Sampat Mehta Waqar Ahmad