कितनी अजीब किस्मत होती है एक लड्डू की ज़रा मीठा, और सब द्वारा नजरअंदाज़ जरा फीका, और ताने उसके बनाने वाले को और जो एकदम सटीक स्वाद वाला हो, तो लपक पड़ते है सारे लड्डू के पीछे शायद कुछ इसी तरह है प्रेम या कोई रिश्ता, जरा फीका और खो देता है अपनी ताज़गी जरा मीठा और चुभने लगता है जीवन में बोझ सा क्यों...क्यों लोग प्रेम या किसी रिश्ते को उसके जायके से मापते है, जबकि कहते है प्रेम की ना कोई परिभाषा होती है, ना कोई सटीक मापदंड क्यों...क्यों दो लोग आपस में मापते रह जाते है सिर्फ जायके को, जबकि प्रेम तो हर दिन, हर पल जीने जैसा है जैसे ली जाती है साँस, या झपकाई जाती है पलकें ©Swechha S The Laddu... प्रेम तो जीने का नाम है ना तो क्यों व्यर्थ करना साथ का वो समय प्रेम की परिभाषा का निर्णय लेने के लिए... सुनो...तुमसे यही हर सांस, हर पलक वाला प्रेम किया है मैंने...💌 #6Sept #Laddu #Prem