जयति कृते हे प्रकृति माते चैतन्यता विस्तारिणी। जयति वैभव भाव सद्गुण सुख सौंदर्य प्रदायिनी। 08 जयति कृते हे प्रकृति माते चैतन्यता विस्तारिणी। जयति वैभव भाव सद्गुण सुख सौंदर्य प्रदायिनी। 08 सकल जगत की सुंदरता का इक तू ही आधार है। सद्गुण और कर्मफ़ल माते तेरा ही विस्तार है।