टुकडा टुकडा ख्वाब बुन लेती हूँ तुम कुछ ना कहो फिर भी सब सुन लेती हूँ फुरसत के पलो में खुद को कुछ यू संवारती हूँ पन्ने दर पन्ने कुछ बाते बस यू ही लिख जाती हूँ कुछ बाते समझ आती हैं तो कुछ बस बेसमझी रह जाती हैं टुकड़ों टुकड़ों में सब बाते लिख जाती हूँ तुम सुनो ना सुनो बस सब कह आती हूँ टुकडा टुकडा ख्वाब बुन लेती हूँ तुम कुछ ना कहो फिर भी सब सुन लेती हूँ