हूँ राम का सा तेज मैं, लंकापति सा ज्ञान हूँ। किस की करूं आराधना, सब से जो मैं महान हूँ। है देवों जैसी करुणा मुझमें, तो क्रोध भी अपार हूँ। कोई न समझ सका , तभी तो मैं इंसान हूँ । जो सूर्य भाँती चमक रही, वैसी एक पहचान हूँ। कितने अथक प्रयास बाद, मेहनत का मैं अंजाम हूँ। है इश्क़ भी मुझमें, नफरत का मैं शिकार हूँ। वो क्या जानेंगे मुझे, अनपढ़ी एक किताब हूँ। है अनेक नज़्म समायी मुझमें, शब्दों का मैं भंडार हूँ। कैद हूँ दायरों में, नहीं तो मैं उड़ान हूँ। समेटता हूँ शब्द अपने, लगाता पूर्ण विराम हूँ। मैं शून्य पे सवार हूँ। मैं शून्य पे सवार हूँ। Inspired from the Poem of Zakir Khan, I penned down my own lines. #zakirkhan #hindi #hindipoetry #yqbaba #yourquote #shoonya