मुसाफिर मुसाफिर एक यैसे रास्ते का जिसका कोई अन्त नही ये दुनिया कहती रहती है ना जाने ओ कैसी नजर से देखते हैं जो उन्हे अन्त नही दिखता अरे कभी नजरे उठा के देखो तो आप की मंजिल का अन्त आप के पास ही मिलेगा हा माना की रास्ते चलते रहने पर कभी खत्म नही होते पर अच्छे भी तो लगते हैं। क्यू की यही तो हमे बताते हैं की जिन्दगी चल रही हैं जिन्दगी मे जान, जूनून से भरे हुये कुछ सपने हैं जो अपने हैं, जो जीना सिखाती हैं जिन्दगी को एक मुसाफिर बनातीं हैं। जिन्दगी एक मुसाफिर