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ख़ुदाया हो रहा तेरे नगर में क्या! लगेगी आग बस मुफ

ख़ुदाया हो रहा तेरे नगर में क्या! 
लगेगी आग बस मुफ़लिस के घर में क्या! 

ख़ुदी का जिस्म ढ़ोना जब लगे मुश्किल! 
लेना सामान आख़िर फिर सफ़र में क्या! 

मुहब्बत है मुझे इन स्याह रातों से! 
बसी है रात में तू इस सहर में क्या! 

मेरा कास़िद भला मायूस क्यों है आज! 
ख़बर उनकी नहीं है इस ख़बर में क्या! 

जिधर देखे,उधर ही क़त्ल होते हैं! 
न जाने है बला उसकी नज़र में क्या !

जुदा होते हुए मर जाते तो अच्छा! 
तेरे बिन भी बसर है,पर,बसर में क्या! 

तपिश कैसी ,धुआँ कैसा,  हुआ क्या है! 
कहीं कुछ जल रहा मेरे जिगर में क्या! 

मुहब्बत दर ब दर ले जायेगी कब तक! 
कटेगी उम्र सारी रहग़ुजर में क्या! 

वफा़ करके ख़सारा हो गया शायद! 
निभा कर मैं मुहब्बत हूँ ज़रर में क्या! 

ये नफ़रत ही दिखाई दे जो हर सू अब! 
मुहब्बत मर गयी है अब बशर में क्या! ग़ज़ल पेश है... 
गौर फरमाएँ... 
#ghazal #sher #jaajib #chandanvibes #nojotohindi #hindiurdu #hindipoet #igwriters #hindiurdupoetry
ख़ुदाया हो रहा तेरे नगर में क्या! 
लगेगी आग बस मुफ़लिस के घर में क्या! 

ख़ुदी का जिस्म ढ़ोना जब लगे मुश्किल! 
लेना सामान आख़िर फिर सफ़र में क्या! 

मुहब्बत है मुझे इन स्याह रातों से! 
बसी है रात में तू इस सहर में क्या! 

मेरा कास़िद भला मायूस क्यों है आज! 
ख़बर उनकी नहीं है इस ख़बर में क्या! 

जिधर देखे,उधर ही क़त्ल होते हैं! 
न जाने है बला उसकी नज़र में क्या !

जुदा होते हुए मर जाते तो अच्छा! 
तेरे बिन भी बसर है,पर,बसर में क्या! 

तपिश कैसी ,धुआँ कैसा,  हुआ क्या है! 
कहीं कुछ जल रहा मेरे जिगर में क्या! 

मुहब्बत दर ब दर ले जायेगी कब तक! 
कटेगी उम्र सारी रहग़ुजर में क्या! 

वफा़ करके ख़सारा हो गया शायद! 
निभा कर मैं मुहब्बत हूँ ज़रर में क्या! 

ये नफ़रत ही दिखाई दे जो हर सू अब! 
मुहब्बत मर गयी है अब बशर में क्या! ग़ज़ल पेश है... 
गौर फरमाएँ... 
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