कुछ करना है, मन में यह ठानी है दिख लाना है दुनिया को कि, मुट्ठी में ताकत कितनी बाकी है करूंगा दो दो हाथ हर विघ्न और बाधाओ से कि कुछ करना है मन में यह ठानी है पता है कि मंज़िल मेरी दूर है इस किनारे से उस किनारे को जाना है अपने को नदियाँ के बहाव सा बना ना है जागा है उत्साह मन मैं, की मंज़िल को बस पाना है नमस्ते लेखकों! अप्रैल का महीना कविता लेखन महीना है| इस महीने में आप हमारे साथ कविता लेखन का अभ्यास करे। रोज़ एक कविता लिखने का संकल्प ले, अपनी लेखनी को सुधारे, और हमारे साथ अपनी अनोखी शैली को निखारे। हम रोज़ एक शब्द देंगे जिसको आप अपनी कविता में इस्तमाल करियेगा, बैकग्राउंड सहित। हर रोज़, सबसे अच्छी कविता को हम प्रदर्शित करेंगे। चलिये, एक कदम बढ़ाते है बेहतर लेखनी की ओर। #rzउत्साह हैशटैग का इस्तमाल करे #rznaprowrimo #naprowrimo20 #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #YourQuoteAndMine Collaborating with Rest Zone