तलाशते हैं तुमको कहां नज़र आती है चाहतें हैं सुनना तुम्हें तो गुमसुम हो जाती हैं ये शब भी कभी कहां ठहरी है संग हमारे कभी-कभी फ़ज़र के वक्त आंखे भी सुर्ख नज़र आती हैं कोई ज़िंदगी सुमसान खुले आसमां के नीचे छलनीं धूल से धुली सूती चादर में पुरसुकूं सोती नज़र आती है कोई ज़िंदगी किसी आलीशान दिवारों मे मलमल की चादर में यहां मलमल के पर्दों के पीछे सिमटी नज़र आती है जानें क्या रुत है यहां कौन किसे पहचानें निगाहें ख़ाली सड़को पर टिकी अक्सर ही नज़र आती हैं| तलाशते हैं तुमको कहां नज़र आती है चाहतें हैं सुनना तुम्हें तो गुमसुम हो जाती हैं ये शब भी कभी कहां ठहरी है संग हमारे कभी-कभी फ़ज़र के वक्त आंखे भी सुर्ख नज़र आती हैं कोई ज़िंदगी सुमसान खुले आसमां के नीचे छलनीं धूल से धुली सूती चादर में पुरसुकूं सोती नज़र आती है कोई ज़िंदगी किसी आलीशान दिवारों मे मलमल की चादर में यहां मलमल के पर्दों के पीछे सिमटी नज़र आती है