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"काव्य रचना लिखी सोनू कडेरा" अमर कहानी ,ओ झांसी की

"काव्य रचना लिखी
सोनू कडेरा"
अमर कहानी ,ओ झांसी की रानी

      कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
   मोरेपंत तांबे की राज दुलारी, भागीरथ आंख की तारी।
मराठों मै जन्मी मनुकर्णिका  भवानी । ।
       

कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
बचपन मां का साथ छुटा, मनु का भाग्य विधाता रुठा।
मोरोपंत तांबे को चिंता सतावे, बेटे की अभिलाषा मैं 
यह कैसा था अजब नजारा।।

        कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी  
जाग रानी बिठुर घर आई, बाजीराव खुशी मनाई।
नाना के साथ  सीखी थी, घोड़ों की सवारी
  नाना की छबीली थी रानी।।

     कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
रानी मन हर्षाई, गंगाधर राव ब्याह रचाई।
महलो में तिलक हरसाय , रस्मों की लगुन लिखाय
झांसी में खुशियां मन भरी छाई ।।

        कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
 दरबारों  में संगीत बजाएं, प्रजा प्रेम गीत सुनाए।
बाजीराव धन वस्त्र परिधान को जन प्रजा जन को बांटे 
बाजीराव बोले मधु भरी वाणी ।।

कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
तात्या टोपे की तलवारों पे ,सीखी तलवार चलाना ।
हर तलवारों की चोटों पे,सीखी दांव चलाना
सीख गई वो हर कला में  दिवानी ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
महलों में उदय हुआ है प्रकाश है चमकीला ।
दिन रात  समझ  ना आए ,समझ ना आए सांझ सवेरा
रानी महलों  को लगी किसी की नजरिया ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
रानी ने बेटे को जन्म दिया, गंगाधर प्रसन्नता छाई ।
कुछ ऐसी घड़ियां आई, पल मैं झांसी को चमकाएं
संगीत ढोल नगाड़े रेलिया निकायो निकाला ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
कुछ समय बीत गया है, सूरज का चांद का दाग दिखाया ।
बेमौत मारे राजा जी, विधवा हो गई रानी
महलों में शोक सा है छाया ।।
    

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी ।
अंग्रेजों ने झांसी को घिरवाया , रानी का  सिर चकराया
शेरों की दहाड में कूद पड़ी है रानी ।।
        
     

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
तात्या को बंदी बनाया ,शिवपुरी  में फांसी पर लटकाया ।
खबर सुन रानी का मनवा घबराया, लक्ष्मी की सहेलियों ने भरपूर साथ निभाया
रानी ने नारी शक्ति की तैयारी ।।
           
         

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
दत्तक पुत्र को पीठ पर बांधती है, आंखों में अंगार लाल तिलक लगाती है।
हाथों में तलवार थामें  लिए, वाला सोंटा घोड़ा की सवारी
चली स्वयं चंडी का भवानी ।।

   

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ब्रिटिश शासन के सैनिक ग्वालियर किले पर आए,
रानी लक्ष्मीबाई कालपी पहुंच गई ।
युद्ध करते करते संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई एक आंख फूट गई धड़ मांसपेशियां बाहर निकल आया था ,आंख व धड़ को कपड़े से बांदा था
फिर भी रानी अंग्रेजों के मर्दों पर पड़ी भारी तलवार को चलाया।।

     

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ग्वालियर किले चेतक पीठ पर आए अंग्रेजों ने किले को चारों तरफ से गिर गया
रानी फिर भी ना घबराए ,अंग्रेजों को पल में मूर्छित कर दिया
केले से चेतक नाले में गिर आया,रानी का मनवा घबराया

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ईश्वर भाग्य विधाता को तरस ना आया कुंदते हुए रानी ने हंसते जान को दांव लगाया
फिर भी रानी ने वीरगति को पाया मरते मरते रानी ने अंग्रेजों को श्मशान घाट पहुंचाया
सत सत को नमन हो गई तेरी अमर कहानी

©SONU KADERA #man ki #baat hai
#jhansi ki rani  #Kavita
@SONU KADERA
         YOU
#rayofhope
"काव्य रचना लिखी
सोनू कडेरा"
अमर कहानी ,ओ झांसी की रानी

      कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
   मोरेपंत तांबे की राज दुलारी, भागीरथ आंख की तारी।
मराठों मै जन्मी मनुकर्णिका  भवानी । ।
       

कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
बचपन मां का साथ छुटा, मनु का भाग्य विधाता रुठा।
मोरोपंत तांबे को चिंता सतावे, बेटे की अभिलाषा मैं 
यह कैसा था अजब नजारा।।

        कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी  
जाग रानी बिठुर घर आई, बाजीराव खुशी मनाई।
नाना के साथ  सीखी थी, घोड़ों की सवारी
  नाना की छबीली थी रानी।।

     कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
रानी मन हर्षाई, गंगाधर राव ब्याह रचाई।
महलो में तिलक हरसाय , रस्मों की लगुन लिखाय
झांसी में खुशियां मन भरी छाई ।।

        कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
 दरबारों  में संगीत बजाएं, प्रजा प्रेम गीत सुनाए।
बाजीराव धन वस्त्र परिधान को जन प्रजा जन को बांटे 
बाजीराव बोले मधु भरी वाणी ।।

कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
तात्या टोपे की तलवारों पे ,सीखी तलवार चलाना ।
हर तलवारों की चोटों पे,सीखी दांव चलाना
सीख गई वो हर कला में  दिवानी ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
महलों में उदय हुआ है प्रकाश है चमकीला ।
दिन रात  समझ  ना आए ,समझ ना आए सांझ सवेरा
रानी महलों  को लगी किसी की नजरिया ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
रानी ने बेटे को जन्म दिया, गंगाधर प्रसन्नता छाई ।
कुछ ऐसी घड़ियां आई, पल मैं झांसी को चमकाएं
संगीत ढोल नगाड़े रेलिया निकायो निकाला ।।

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
कुछ समय बीत गया है, सूरज का चांद का दाग दिखाया ।
बेमौत मारे राजा जी, विधवा हो गई रानी
महलों में शोक सा है छाया ।।
    

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी ।
अंग्रेजों ने झांसी को घिरवाया , रानी का  सिर चकराया
शेरों की दहाड में कूद पड़ी है रानी ।।
        
     

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
तात्या को बंदी बनाया ,शिवपुरी  में फांसी पर लटकाया ।
खबर सुन रानी का मनवा घबराया, लक्ष्मी की सहेलियों ने भरपूर साथ निभाया
रानी ने नारी शक्ति की तैयारी ।।
           
         

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
दत्तक पुत्र को पीठ पर बांधती है, आंखों में अंगार लाल तिलक लगाती है।
हाथों में तलवार थामें  लिए, वाला सोंटा घोड़ा की सवारी
चली स्वयं चंडी का भवानी ।।

   

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ब्रिटिश शासन के सैनिक ग्वालियर किले पर आए,
रानी लक्ष्मीबाई कालपी पहुंच गई ।
युद्ध करते करते संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई एक आंख फूट गई धड़ मांसपेशियां बाहर निकल आया था ,आंख व धड़ को कपड़े से बांदा था
फिर भी रानी अंग्रेजों के मर्दों पर पड़ी भारी तलवार को चलाया।।

     

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ग्वालियर किले चेतक पीठ पर आए अंग्रेजों ने किले को चारों तरफ से गिर गया
रानी फिर भी ना घबराए ,अंग्रेजों को पल में मूर्छित कर दिया
केले से चेतक नाले में गिर आया,रानी का मनवा घबराया

       कहत सुनत आवै नैनो में पानी अमर कहानी 
                  ओ झांसी की रानी , ओ अमर कहानी
ईश्वर भाग्य विधाता को तरस ना आया कुंदते हुए रानी ने हंसते जान को दांव लगाया
फिर भी रानी ने वीरगति को पाया मरते मरते रानी ने अंग्रेजों को श्मशान घाट पहुंचाया
सत सत को नमन हो गई तेरी अमर कहानी

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