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कल शाम हवा कुछ मंद मंद सी थी मगर मुझे अंदर तक झकझो

कल शाम हवा कुछ मंद मंद सी थी
मगर मुझे अंदर तक झकझोर के चली गयी
अनायास ही भीतर कुछ शोर होने लगा
तेरी यादों की कड़ी आई और आकर गुज़रती चली गयी
कोलाहल इतना मच गया भीतर तेरी बातों का
के सन्नाटों को चीरती तेरी यादें चली गयी
ऐ-हवा अतीत की बातें न याद दिलाया कर मुझे
मैं मिट्टी हूँ,और तू बार बार मुझे नम करती चली गयी

©Richa Dhar #chaandsifarish मैं मिट्टी हूँ
कल शाम हवा कुछ मंद मंद सी थी
मगर मुझे अंदर तक झकझोर के चली गयी
अनायास ही भीतर कुछ शोर होने लगा
तेरी यादों की कड़ी आई और आकर गुज़रती चली गयी
कोलाहल इतना मच गया भीतर तेरी बातों का
के सन्नाटों को चीरती तेरी यादें चली गयी
ऐ-हवा अतीत की बातें न याद दिलाया कर मुझे
मैं मिट्टी हूँ,और तू बार बार मुझे नम करती चली गयी

©Richa Dhar #chaandsifarish मैं मिट्टी हूँ
richadhar9640

Richa Dhar

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#chaandsifarish मैं मिट्टी हूँ #कविता