जीते जी कद्र नहीं की मां और पिता की मरने के बाद उनकी एलबम से अच्छी तस्वीर ढूंढते हों, दो बोल प्यार के नहीं कभी बोले तुम पुरे मकान के साथ साथ पूरा जीवन तुम्हें दे दिया क्या अहसान किया तुम पर ये सदा जताते रहे हों रहने के लिए एक कमरा भी नसीब न हुआ उनको अब डिजाइनर फ्रेम में फोटो रख तिये की बैठक करते हों इच्छा मार कर जी रहे होते थे तुम्हे हर खुशी देने के लिए पड़ रहे थे दो वक्त की रोटी के भी लाले सोच रहे अब इन्हें कोन संभाले अब मरने पर छप्पन भोग लगा तुम दिखाते हो ऐसी में बैठे रहे तुम सदा ठंडी हवा का लुत्फ उठाते हों उस टूटे फूटे कमरे मे एक पंखा जो रुक रुक चलता था उस कमरे की मैंनफ्यूज तक उड़ा आते होंअंधेरा कर उनके जीवन में वाह क्या घर के चिराग़ कहलाते हों ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma वाह क्या जिंदगी हैं #navratri #Merichopal #Nojoto Dhyaan mira Adv. Rakesh Kumar Soni