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#गर्दिश में सितारा है अभी राह-ए-ज़फ़र का। निकला ह

#गर्दिश में सितारा है अभी राह-ए-ज़फ़र का। 
निकला ही नहीं शम्स ग़रीबों की सहर का। 

इन सीप सी आंखों में भरे अश्क़ तो देखो
फिर बाद में मत कहना है क्या राज़ गुहर का। 

उस शह्र से तू मुझको बचा लेना ख़ुदाया 
जिस शह्र पे आतंक हो गुस्ताख़ नज़र का।

#गर्दिश में सितारा है अभी राह-ए-ज़फ़र का। निकला ही नहीं शम्स ग़रीबों की सहर का। इन सीप सी आंखों में भरे अश्क़ तो देखो फिर बाद में मत कहना है क्या राज़ गुहर का। उस शह्र से तू मुझको बचा लेना ख़ुदाया जिस शह्र पे आतंक हो गुस्ताख़ नज़र का।

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